By: GNT Digital
टीबी एक संक्रामक और गंभीर बीमारी है. इस बीमारी से ग्रसित मरीज जब खांसता या छींकता है तो आसपास मौजूद दूसरे व्यक्ति को भी वह ग्रसित कर सकता है.
समय रहते अगर सही ढंग से टीबी का इलाज न किया जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है
यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है. इम्युनिटी कमजोर होने पर अन्य बीमारियों के साथ-साथ टीबी होने का भी खतरा बढ़ जाता है.
टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को इफेक्ट करती है. लेकिन फेफड़ों के अलावा टीबी किडनी, ब्रेन, बोन, लिवर, यूटरस, गले, मुंह आदि में भी हो सकती है. चलिए जानते हैं इसके लक्षण और इलाज के बारे में.
लक्षण
दो हफ्तों या उससे ज्यादा तक खांसी आती रहे तो सतर्क हो जाने की जरूरत है. टीबी होने पर पहले सूखी खांसी और फिर बलगम और खून भी आने लगता है. ऐसे में टीबी का टेस्ट करा लेना चाहिए
लगातार पसीना आना बंद नहीं हो रहा चाहे मौसम कोई भी हो तो यह टीबी के लक्षण में आता है. टीबी के मरीज को रात में भी पसीना आता है.
लक्षण
अधिक थकावट का अहसास हो और शुरू में कम लेकिन संक्रमण फैलने पर लगातार तेज बुखार रहता हो तो तुरंत टीबी का टेस्ट कराना चाहिए.
लक्षण
भूख न लगना और लगातार वजन कम होना भी टीबी के लक्षण में आता है.
लक्षण
टीबी के बताए गए लक्षणें में से अगर एक भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर को दिखाएं और दवा का पूरा कोर्स लें. इस बात का ध्यान रखें कि कोर्स पूरा किए बिना और डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे.
इलाज
पहले चरण में मरीज को 6 महीने की दवा दी जाती है जिसे डॉक्टर की देखरेख में लेना होता है.
बता दें कि जिला अस्पताल में टीबी का इलाज मुफ्त होता है और दवाइयां भी मुफ्त में मिलती हैं. टीबी से निपटने के लिए हर जिले में डॉट्स सेंटर भी बनाए गए हैं.
लक्षण
इलाज के अलावा टीबी के मरीज को अपने खानपान पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होता है. दवाओं के साथ पौष्टिक आहार सेहत को मजबूत करते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं.
टीबी के मरीज को अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट 55-75 %, प्रोटीन,
10-15 %, विटामिन और मिनरल 10-15 % और सबसे कम फैट 5-10 % वाले पदार्थ को शामिल करना चाहिए.