By-GNT Digital

क्या है नई और पुरानी कर व्यवस्था में अंतर?

बजट पेश होने के साथ ही नई और पुरानी कर व्यवस्था यानी New Tax Regime और Old Tax Regime जैसे शब्दों पर चर्चा तेज हो गई है. आइए समझते हैं कि ये है क्या

मोदी सरकार 2020 के बजट में पहली बार नई कर व्यवस्था लेकरआई. इसके तहत लोगों को कम दरों पर टैक्स चुकाने का विकल्प दिया गया. 

आयकर अधिनियम की धारा 115BAC के तहत नई कर व्यवस्था का प्रावधान किया गया. यह वित्त वर्ष 2020-21 या आकलन वर्ष 2021-22 से लागू है.

नई कर व्यवस्था आने के बाद भी पुरानी कर व्यवस्था लागू है. लोगों के पास दोनों में से कोई एक चुनने का विकल्प है. हालांकि Old Tax Regime से New Tax Regime में एक बार स्विच कर जाते हैं तो वापस पुरानी कर व्यवस्था में लौटने का विकल्प नहीं है.

नई या पुरानी में से कौन से कर व्यवस्था सही है, यह करदाता की आमदनी और निवेश की दिलचस्पी पर निर्भर करता है.

पुरानी कर व्यवस्था में धारा 80सी के तहत निवेश, होम लोन के ब्याज, NPS और स्वास्थ्य बीमा की राशि पर टैक्स में छूट मिलती है, जबकि नई टैक्स व्यवस्था में ऐसा कुछ भी नहीं है.

नई टैक्स व्यवस्था में आयकर छूट का दायरा 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख तक कर दिया गया है जो वित्त वर्ष 2023-24 से लागू होगा. पुरानी टैक्स व्यवस्था में छूट का दायरा अब भी पांच लाख ही है.

पुरानी टैक्स व्यवस्था में अगर आपकी सालाना आमदनी 5 लाख तक है तो कोई टैक्स की देनदारी नहीं बनती लेकिन 5 लाख रुपए से एक रुपए अधिक भी आमदनी होती है तो आपकी आय Taxable Income के दायरे में आएगी और स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. 

नई टैक्स व्यवस्था में 7 लाख रुपए तक की आमदनी वाले लोगों पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन 7 लाख रुपए से एक रुपए अधिक भी आमदनी होती है तो आपकी आय Taxable Income के दायरे में आएगी और स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

पुरानी टैक्स व्यवस्था में 3 तरह के टैक्स स्लैब हैं- 5%, 20% और 30%. जबकि 2023 के बजट में नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब की संख्या 6 से घटाकर 5 करने का प्रस्ताव है. 

नई टैक्स व्यवस्था के तहत अभी 5%, 10%, 15%, 20%, 25%, 30% की दर से टैक्स कटता है जबकि 2023 के बजट में 5%, 10%, 15%, 20%, 30% की दर से टैक्स काटने का प्रावधान है.