23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर लैंड करेगा. लैंडिंग को लाइव देखा जा सकता है.
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चंद्रयान 3 दुनिया के बाकी मून मिशन से काफी अलग है. चंद्रयान का विक्रम लैंडर चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट होगा.
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चंद्रयान 3 से पहले रूस के लूना 25 ने भी चांद के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश की थी. लेकिन लैंडिंग के वक्त क्रैश हो गया.
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लूना और चंद्रयान के पहले दुनिया के जितने भी मून मिशन हुए है, उसमें यानों ने चंद्रमा की भूमध्य रेखा पर उतरने की कोशिश की है.
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चंद्रमा की भूमध्य रेखा के पास लैंड करना ज्यादा आसान है. इस रेखा के पास तकनीकी सेंसर और संचालन के लिए जरूरी उपकरण सूर्य से सीधी रोशनी प्राप्त करते हैं.
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भूमध्य रेखा के पास दिन के समय रोशनी साफ दिखाई देती है. इसलिए अब तक के सभी स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के भूमध्य रेखा के करीब उतरे हैं.
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चंद्रमा का साउथ पोल चुनौतियों से भरा है. वहां लैंडिंग काफी मुश्किल है. हालांकि चंद्रयान 3 भी उसके अंधेरे में नहीं उतरेगा.
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चंद्रयान 3 अंधेरे हिस्से के पास रोशनी वाले इलाके में उतरेगा, ताकि वो सूरज की ऊर्जा से 14 दिन तक काम कर सके.
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इस इलाके में तापमान में तेजी से बदलाव होता है. अधिकतम तापमान 100 डिग्री सेल्सियम से ऊपर और न्यूनतम तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस हो सकता है.
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