गाज़ा पट्टी भूमध्य सागर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर कस्बों, गांवों और खेतों का एक टुकड़ा है, जो 45 किमी (25 मील) लंबी और अधिकतम 10 किमी (6 मील) चौड़ी है. यह उत्तर और पूर्व में इज़राइल और दक्षिण में मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के बीच फैला हुआ है.
गाज़ा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है. लगभग 365 किलोमीटर वर्ग के क्षेत्र में रहने वाले 2 मिलियन से ज्यादा लोगों के साथ, यह लगभग लंदन जितना घना है.
साल 2000 और 2020 के बीच जनसंख्या 1.1 से 2 मिलियन तक लगभग दोगुनी हो गई. आज यहां 2.2 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं.
गाज़ा शहर 3,000 से ज्यादा सालों से लगातार बसा हुआ है और प्राचीन सभ्यताओं का चौराहा रहा है. ऐसा माना जाता है कि यह पैगंबर मोहम्मद के परदादा की कब्र है.
ओटोमन साम्राज्य ने यहां चार शताब्दियों तक शासन किया. फिर नेपोलियन फ्रांस ने इस बार कब्जा चाहा. इसके बाद यहां मिस्र का प्रभाव बढ़ने लगा. फिर ब्रिटेन ने प्रथम विश्व युद्ध में गाज़ा और शेष फिलिस्तीन पर नियंत्रण कर लिया.
1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान मिस्र ने पट्टी पर नियंत्रण कर लिया. 1948-49 में पट्टी की जनसंख्या तीन गुना हो गई, जब यहां पर हजारों फिलिस्तीनी शरणार्थियों में से लगभग एक चौथाई लोग आकर बस गए.
1967 के युद्ध में इजराइल ने मिस्र से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया. इज़राइल ने सितंबर 2005 में यहूदी निवासियों और सैनिकों को क्षेत्र से बाहर निकाला. एक साल बाद, हमास के आतंकियों ने राष्ट्रपति महमूद अब्बास की फ़तह सेना को हराकर गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया.
इसके बाद इज़राइल ने गाज़ा के साथ अपनी सीमाओं को सख्त कर दिया, ईंधन आपूर्ति पर रोक लगा दी और लोगों की आवाजाही को सीमित कर दिया.
गाज़ा में ज्यादातर लोग गरीबी में रहते हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, 63% लोग खाने के मामले में असुरक्षित हैं.