दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार लक्ष्मी-गणेशजी की प्रतिमाएं धनतेरस के दिन ही खरीद लेनी चाहिए.
कभी भी संयुक्त लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति न खरीदें बल्कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की अलग-अलग प्रतिमाएं ही खरीदें.
मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की उस मूर्ति को खरीदना चाहिए जो बैठी मुद्रा में हो. खड़ी मुद्रा में मूर्ति घर लाना अशुभ माना जाता है.
भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय उनकी सूंड को विशेष रूप से चेक करें. जिस मूर्ति में उनकी सूंड बाईं ओर झुकी हो उसी मूर्ति को लेनी चाहिए.
भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय उनकी सवारी मूषक यानी चूहा का ध्यान जरूर रखना चाहिए. मूर्ति में मूषक का न होना दोष पूर्ण माना जाता है.
भगवान गणेशजी के हाथ में मोदक लिए हुए मूर्ति को ही दिवाली पूजा में आपको शामिल करना चाहिए.
मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी हाथी या कमल के आसन पर विराजमान हों. साथ ही हाथ से धन की वर्षा हो रही हो यानी सिक्के गिर रहे हों.
दिवाली पर मिट्टी से बनी मूर्ति का पूजन सबसे शुभ माना जाता है. इसके अलावा आप अष्टधातु, पीतल या चांदी की मूर्ति का भी पूजा कर सकते हैं.
दिवाली पूजन में खंडित या टूटी हुई मूर्ति को शामिल नहीं करना चाहिए. यदि हो सके तो मिट्टी की मूर्ति की ही पूजा करें.