क्या आपने कभी किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है. जहां न कोई ताला लगता है, न कोई चोरी होती है, दुकानों में दुकानदार भी नहीं होता?
यह एक ऐसा एक अनोखा गांव में जहां ईमानदारी ही सबसे बड़ा नियम है और भरोसा ही सबसे बड़ी सुरक्षा.
अगर आपको यह सुनकर यकीन नहीं होता, तो बता दें, कि यह गांव कोई विदेशी नहीं, बल्कि भारत का हिस्सा है. यह है नागालैंड का खोनोमा गांव.
आज के समय में दुनिया चोरी-चकारी की घटनाओं से परेशान है, वहीं नागालैंड का खोनोमा गांव ऐसा उदाहरण है जहां आजतक एक भी चोरी नहीं हुई है.
यह गांव केवल ईमानदारी के लिए नहीं, बल्कि ऐसे भारत का पहला ग्रीन विलेज भी घोषित किया गया है.
खोनोमा गांव का इतिहास करीब 700 साल पुराना है और यहां अंगामी जनजाति के लोग रहते हैं.
इस जनजाति में भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भी अहम भूमिका निभाई थी, जिससे इनका सामाजिक योगदान भी गौरवपूर्ण रहा है.
गांववालो ने पर्यावरण और संस्कृति को बचाने के लिए अपने स्तर पर नियम बनाए है, जैसे-जंगलों में पेड़ न काटना और शिकार पर प्रतिबंध लगाया है.
गांव में मौजूद दुकानों में दुकानदार नहीं बैठते, वहां लोग दुकानों से समान लेते हैं और ईमानदारी से पैसे रखे गए बॉक्स में डाल देते हैं.
गांव की ईमानदारी और सुरक्षित माहौल ऐसा है कि लोग अपने घर में ताले तक नहीं लगते, क्योंकि उन्हें पता है कि कोई कुछ चुराएगा नहीं.